hindisamay head
:: हिंदी समय डॉट कॉम ::
गांधी साहित्य (10 अगस्त 2018), मुखपृष्ठ संपादकीय परिवार

दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
मोहनदास करमचंद गांधी

प्रथम खंड : 6. हिंदुस्तानियों ने क्या किया ?

हिंदुस्तानी जनता की स्थिति पर विचार करते हुए पिछले प्रकरणों में हम कुछ हद तक यह देख चुके हैं कि हिंदुस्तानियों ने अपने ऊपर होने वाले आक्रमणों का कैसे सामना किया? परंतु सत्याग्रह की उत्पत्ति की कल्पना अच्छी तरह कराने के लिए इस संबंध में एक अलग प्रकरण देना जरूरी है कि हिंदुस्तानी जनता की सुरक्षा के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए?

सन 1893 तक दक्षिण अफ्रीका में ऐसे स्वतंत्र हिंदुस्तानियों की संख्या बहुत कम थी, जो काफी शिक्षित कहे जा सकें और हिंदुस्तानी जनता के हितों के लिए लड़ सकें। अँग्रेजी जानने वाले हिंदुस्तानियों में मुख्यतः क्लर्क थे। वे अपने धंधे की जरूरतें पूरी करने लायक अँग्रेजी जानते थे, परंतु अरजियाँ तैयार नहीं कर सकते थे। इसके सिवा, उन्हें अपना सारा समय अपने मालिकों को देना पड़ता था। अँग्रेजी की शिक्षा पाया हुआ दूसरा वर्ग ऐसे हिंदुस्तानियों का था, जो दक्षिण अफ्रीका में ही पैदा हुए थे। ये अधिकतर गिरमिटियों की संतान थे। और इनमें से बड़ी संख्या के लोग थोड़ी भी योग्यता प्राप्त कर लेने पर कानूनी अदालतों में दुभाषियों के रूप में सरकारी नौकरी कर लेते थे। इसलिए वे हिंदुस्तानियों के हितों के प्रति सहानुभूति प्रकट करने के सिवा और कुछ नहीं कर सकते थे। यही उनकी बड़ी से बड़ी सेवा थी।

इसके अलावा, गिरमिटिया मजदूरों और गिरमिट-मुक्त मजदूरों का वर्ग मुख्यतः उत्तर प्रदेश और मद्रास राज्य से वहाँ आया था। हम यह भी देख चुके हैं कि स्वतंत्र हिंदुस्तानियों में गुजरात के मुख्यतः मुसलमान व्यापारी और हिंदू मुनीम या मेहता थे। इनके सिवा कुछ पारसी व्यापारी और क्लर्क भी थे। परंतु सारे दक्षिण अफ्रीका में पारसियों की संख्या संभवतः तीस या चालीस से ऊपर नहीं थी। स्वतंत्र व्यापारियों के वर्ग में एक चौथा दल सिंधी व्यापारियों का था। समूचे दक्षिण अफ्रीका में दो सौ या इससे कुछ अधिक सिंधी होंगे। ऐसा कहा जा सकता है कि हिंदुस्तान के बाहर वे जहाँ-जहाँ जाकर बसे हैं वहाँ-वहाँ उनका व्यापार एक ही प्रकार का होता है। वे 'फैंसी गुड्स' के व्यापारियों के नाते पहचाने जाते हैं। 'फैंसी गुड्स' में वे लोग खासतौर पर रेशम, जरी वगैरा का सामान, बंबई की नक्काशीवाली सीसम, चंदन और हाथीदाँत की तरह-तरह की पेटियाँ और ऐसा ही दूसरा घरेलू सामान बेचते हैं। और उनके ग्राहक प्रायः गोरे लोग ही होते हैं।

गिरमिटिया मजदूरों को गोरे लोग 'कुली' के नाम से ही पुकारते थे। कुली का अर्थ है बोझ ढोने वाला मजदूर...

पूरी सामग्री पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

कविताएँ
भूषण

भूषण ने जिन दो नायकों की कृति को अपने वीर काव्य का विषय बनाया वे अन्यायदमन में तत्पर दो इतिहासप्रसिद्ध वीर थे। उनके प्रति भक्ति और सम्मान की प्रतिष्ठा हिंदू जनता के हृदय में उस समय भी थी और आगे भी बराबर बनी रही या बढ़ती गई। इसी से भूषण के वीररस के उद्गार सारी जनता के हृदय की संपत्ति हुए। भूषण की कविता कविकीर्ति संबंधी एक अविचल सत्य का दृष्टांत है। जिसकी रचना को जनता का हृदय स्वीकार करेगा उस कवि की कीर्ति तब तक बराबर बनी रहेगी, जब तक स्वीकृति बनी रहेगी। शिवाजी और छत्रसाल की वीरता के वर्णनों को कोई कवियों की झूठी खुशामद नहीं कह सकता। वे आश्रयदाताओं की प्रशंसा की प्रथा के अनुसरण मात्र नहीं हैं। इन दो वीरों का जिस उत्साह के साथ सारी हिंदू जनता स्मरण करती है उसी की व्यंजना भूषण ने की है। जो कविताएँ इतनी प्रसिद्ध हैं उनके संबंध में यहाँ यह कहना कि वे कितनी ओजस्विनी और वीरदर्पपूर्ण हैं, पिष्टपेषण मात्र होगा। यहाँ इतना ही कहना आवश्यक है कि भूषण वीररस के ही कवि थे। (आचार्य रामचंद्र शुक्ल)

परंपरा
मृत्युंजय
मिश्र बंधु : आधुनिकता में संक्रमण

स्मरण
प्रयाग शुक्ल
सर्वेश्वर जी से जुड़ी यादें
कृपाशंकर चौबे
शिवपूजन सहाय की पत्रकारिता

विमर्श
अमरनाथ
हिंदी आलोचना का शून्य काल?

सिनेमा
सी. भास्कर राव
सघन, सार्थक और संवेदनशील : द गाजी एटैक

कहानियाँ
रामनगीना मौर्य
सॉफ्ट-कॉर्नर
गुनाह बेलज्जत
लोहे की जालियाँ
अखबार का रविवारीय परिशिष्ट
इतवार का राग

कविताएँ
राहुल कुमार
पंकज चौधरी

देशांतर - बातचीत
लास्‍लो क्रस्‍नाहोरकाई
आज मैं अपने पात्रों को बेहतर समझ के साथ देख पाता हूँ

संरक्षक
प्रो. गिरीश्‍वर मिश्र
(कुलपति)

 संपादक
प्रो. आनंद वर्धन शर्मा
फोन - 07152 - 252148
ई-मेल : pvctomgahv@gmail.com

समन्वयक
अमित कुमार विश्वास
फोन - 09970244359
ई-मेल : amitbishwas2004@gmail.com

संपादकीय सहयोगी
मनोज कुमार पांडेय
फोन - 08275409685
ई-मेल : chanduksaath@gmail.com

तकनीकी सहायक
रविंद्र वानखडे
फोन - 09422905727
ई-मेल : rswankhade2006@gmail.com

कार्यालय सहयोगी
उमेश कुमार सिंह
फोन - 09527062898
ई-मेल : umeshvillage@gmail.com

विशेष तकनीकी सहयोग
अंजनी कुमार राय
फोन - 09420681919
ई-मेल : anjani.ray@gmail.com

गिरीश चंद्र पांडेय
फोन - 09422905758
ई-मेल : gcpandey@gmail.com

आवश्यक सूचना

हिंदीसमयडॉटकॉम पूरी तरह से अव्यावसायिक अकादमिक उपक्रम है। हमारा एकमात्र उद्देश्य दुनिया भर में फैले व्यापक हिंदी पाठक समुदाय तक हिंदी की श्रेष्ठ रचनाओं की पहुँच आसानी से संभव बनाना है। इसमें शामिल रचनाओं के संदर्भ में रचनाकार या/और प्रकाशक से अनुमति अवश्य ली जाती है। हम आभारी हैं कि हमें रचनाकारों का भरपूर सहयोग मिला है। वे अपनी रचनाओं को ‘हिंदी समय’ पर उपलब्ध कराने के संदर्भ में सहर्ष अपनी अनुमति हमें देते रहे हैं। किसी कारणवश रचनाकार के मना करने की स्थिति में हम उसकी रचनाओं को ‘हिंदी समय’ के पटल से हटा देते हैं।
ISSN 2394-6687

हमें लिखें

अपनी सम्मति और सुझाव देने तथा नई सामग्री की नियमित सूचना पाने के लिए कृपया इस पते पर मेल करें :
mgahv@hindisamay.in